मसूरी गोलीकांड की 31वीं बरसी पर मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने मालरोड स्थित शहीद स्थल पर पहुंचकर उत्तराखंड राज्य आंदोलन के शहीदों को श्रद्धांजलि अर्पित की। 2 सितंबर 1994 की वह काली रात आज भी लोगों के दिलों में सिहरन पैदा कर देती है, जब शांतिपूर्ण आंदोलन कर रहे निहत्थे प्रदर्शनकारियों पर पुलिस ने गोलियों की बौछार कर दी थी।
इस गोलीकांड में राय सिंह बंगारी, मदन मोहन ममगाईं, हंसा धनाई, बेलमती चौहान, बलबीर नेगी और धनपत सिंह सहित पुलिस के सीओ उमाकांत त्रिपाठी की भी जान चली गई थी। बलिदानी बलबीर नेगी के बेटे बिजेंद्र नेगी ने बताया कि उनके पिता को पुलिस ने सीने और पेट में गोली मारी थी।
वरिष्ठ राज्य आंदोलनकारी जय प्रकाश उत्तराखंडी और देवी प्रसाद गोदियाल ने भी उस दिन की घटनाओं को याद करते हुए बताया कि खटीमा गोलीकांड के विरोध में मसूरी बंद कर शांतिपूर्ण आंदोलन किया जा रहा था, लेकिन पुलिस ने आंदोलनकारियों को रात में कार्यालय से उठा लिया और फिर बर्बरता की सारी हदें पार कर दीं।
उन्होंने कहा कि उत्तराखंड तो अलग राज्य बन गया, लेकिन आंदोलनकारियों के सपनों का प्रदेश अब तक नहीं बन पाया है। गैरसैंण को राजधानी बनाने की मांग आज भी अधूरी है और पलायन, रोजगार, शिक्षा, स्वास्थ्य जैसी समस्याएं ज्यों की त्यों बनी हुई हैं। इस मौके पर यह भी अपील की गई कि अब समय आ गया है कि शहीदों के सपनों के अनुरूप उत्तराखंड के विकास पर गंभीरता से विचार किया जाए।
About The Author
You may also like
-
पत्रकारों पर मुकदमे को लेकर हरक सिंह रावत का बयान, कहा– यह लोकतंत्र की आवाज दबाने जैसा कदम
-
कांग्रेस ने उत्तराखंड में भी वोट चोरी का लगाया आरोप
-
पंकज क्षेत्री ने आपदा पर सरकार को लिया आड़े हाथ, कहा – आपदा में सरकार फेल
-
अपनी ही सरकार में धरना देने को मजबूर दिग्गज BJP विधायक! कोतवाली के सामने जमाया डेरा
-
जीएसटी रिफॉर्म पर बरसी कांग्रेस, बोली- ‘गब्बर सिंह टैक्स लगाकर 8 साल तक चूसा जनता का खून’